स्वामी विवेकानंद जी के 5 विचार
° यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है,कि बुराइयों और दुःखो का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता । ° हम जो बोते हैं वो काटते हैं, हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं,हवा बह रही है, वो जहाज जिनके पाल खुले हैं, इससे टकराते हैं, और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं, पर जिनके पाल बंधे हैं, हवा को नहीं पकड़ पाते क्या यह हवा की गलती हैं ,हम खुद अपना भाग्य बनाते हैं । ° भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं, अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते। ° स्वतंत्र होने का साहस करो, जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो, और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो। ° जिस धागे की गांठें खुल सकती है, उस धागे पर कैंची नहीं चलानी चाहिए ।